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Posted on: Nov 17, 2017
Holding on to Him
Naveen Sharma (India) - Poem
Naam Ka Sahaara
“महिमा जग में सबसे प्यारी, इक तेरे ही नाम की,
साईराम साईराम साईं राम कहते चलो, जीवन करके साईं हवाले, वक़्त के साथ बस बहते चलो, बहते चलो, बहते चलो, साईराम साईराम साईं राम कहते चलो, साईराम साईराम साईराम कहते चलो.......
इस दुनिया को तुमने बनाया, सब अपने कोई ना पराया, जात है ऊंची मानवता की, धर्म प्यार का हमको सिखाया, साईराम साईराम साईं राम कहते चलो, साईराम साईराम साईराम कहते चलो, कहते चलो, कहते चलो,
प्रेम का तुम इक बहता दरिया, डूब के मुझको अब है जाना, तेरा सुमिरण पल-पल क्षण-क्षण, बुन लूँ ऐसा ताना बाना, साईराम साईराम साईराम साईराम तेरा सुमिरण पल-पल क्षण-क्षण, बुन लूँ ऐसा ताना बाना, बुन लूँ ऐसा ताना बाना साईराम साईराम साईराम साईराम, साईराम साईराम साईं राम कहते चलो,
रहम-ओ-करम से तेरी साईं कर्म ये मेरा कट जायेगा, राज़ ये अब मैं जान चुका हूँ, जो बोएगा सो पाएगा, जो बोएगा सो पाएगा, जय जय श्री राम, जय जय श्री राम…
तेरी तलाश में जब भी निकला, लौट के खुद पर मैं हूँ आया, मोह माया का पर्दा हटा तो, देखी सब में तेरी काया, देखी सब में तेरी काया, देखी सब में तेरी काया, साईराम साईराम साईं राम कहते चलो, जीवन करके साईं हवाले, वक़्त के साथ बस बहते चलो, बहते चलो, बहते चलो/ पतंग मेरी ज़िन्दगी की पतंग,जिसकी डोर "मन" के हाथों थी, उसक साई से पेच लड़ गया, मैं ख़ुशी-ख़ुशी कट गया, इससे पहले की दुनिया मुझे लूटती,मै साई की डोर मे ही फँस गया।
पतंग में तो कोई कमी न थी, कागज़ था कोरा, कमानी में था दम, डोर "मन" के हाथ ना होती,तो ठीक उड़ लेते हम,
थोड़ी मरम्मत अब इसमें आन पड़ी है,
तो "सत्य"की तरफ थोड़ी सी "कन्नी" बंधेगी,ताकि "धर्म" अपनी जगह न छोड़े, डोर हमेशा ऐसी रखना जो तूझे खुदा से जोड़े,
इस "पतंग" को साई अब खुद उड़ाएंगे, रहनुमाई से अपनी,जिस तरफ चाहेंगे,ले जायेंगे।
सारथि साईं तेरे सारथी हैं,पार वो लगायेंगे, थोड़ा इंतज़ार कर, पूरा ऐतबार कर /
खुल्द से निकला जब तू, दे के वचन अपने को, होने न देगा बिलकुल, मैली इस चादर को, कोलाहल में दुनिया के तू खुद को सुन न पाया, मतलब के थे सारे साथी, क्या अपना - पराया, तेरी हर भूल प्यारे, बाबा माफ़ करेंगे, चल तू सेवा अपार कर, और सबसे तू प्यार कर /
नक्श-ए-कदम पे साईं के था, तुझको तो बस चलना, इस दुनिया की उलझन से था, तुझको बच निकलना, पर डगमग -डगमग तू चला जो, घर आ बैठी माया, सच्चा-झूठा, असली-नकली, फर्क न तू कर पाया, भवसागर से अब भी तुझको, बाबा पार करेंगे, ज़रा मन को तू साफ़ कर, और अच्छा विचार कर/
साईं तेरे सारथी हैं,पार वो लगायेंगे, थोड़ा इंतज़ार कर, पूरा ऐतबार कर /
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Thank you and loving Sai Ram,
Team Radio Sai